एक बार भगवान महावीर इस धरती पर........Shree Mahaveer Bhagwan महावीर भगवान
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*धर्म आदरणिय हो।*
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*। जय महावीर ।*
*दृष्टान्त :*
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एक बार भगवान महावीर इस धरती पर आए और रास्ते में कोई राहगीर मिल गया,
तो महावीरजी ने उससे कहा की मुझे किसी जैनी के घर ले चलो ।
तो उसने जबाब देते हुवे पूछा, के, .....
"कौनसे जैनी ?"
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महावीरजी ने कहा, ...
"क्या मतलब हैं तुम्हारा ?"
राहगीर ने कहा, ...
"दिगंबर या श्वेताम्बर ?"
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महावीरजी ने फिर कहा, ...
"अच्छा श्वेताम्बर के यहाँ ले चलो ।"
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तो फिर राहगीर ने पूछा,...
"कौन से श्वेताम्बर के यहाँ ?"
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महावीरजी ने फिर पूछा, ...
"क्या मतलब तुम्हारा? मैं तो एक ही छोडकर गया था, ...
उसके दो हो गए !
अब, ये दो में और क्या क्या है ?"
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उसने कहा, .....
"श्वेताम्बर में, .....
मंदिर मार्गी, तेरह पंथी, बाईस टोला, ..... या, ...
या, स्थानकवासी !
बोलो, किसके यहाँ जाना है?"
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महावीरजी ने फिर कहा,...
"अच्छा, मंदिरमार्गी के यहाँ ले चलो ।
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फिर राहगीर ने पूछ लिया के,
"मंदिर मार्गी में कौनसे?"
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"खतर गच्छ, तपा गच्छ, अंचल गच्छ या लोपा गच्छ, शायद और भी है !"
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*तो महावीरजी ने कहा,...*
*"बस, .. बस करो... अब मुझे कहीं नहीं जाना है।*
*मैं तो एक छोड़ के गया था,*
*पर, मुझे क्या मालूम के इसके इतने सारे टुकड़े हो जाएँगे!!!*
*मैं तो वापिस अपने धाम में जा रहा हूँ!!!*
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मित्रों, यह है हमारी दशा ।
हम कुटुम्बों के टुकड़े कर रहे है,
हम धर्म के भी टुकड़े करते जाते है।
क्या होगा इस समाज का, और कितने टुकड़े होंगे, ...
ये एक .....
*चिंतनीय विषय है !*
*जरा विचार करें ।*
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युवकों को आगे आकर फिर से एक करने की कौशिश या पहल करनी चाहिए,
ताकि पूरी दुनियाँ में जैन समाज का नाम, एकता, समभावना, परदुःखभंजन, अहिंसा, के लिए एक सुदर उदाहरण बन जायें!!!
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गर्व, घमंड, गर्म मिजाज, नफरत, द्वेष, क्रोध ई. पालने से जीवन धूल में मिल जाता है, और समाज रोशन नहीं होता !!!
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जो संत अपनी ऊंचाई के लिए अलग से नया पंथ, नयी राह बनाते हो उन्हे रोकना चाहिए, ...
तब ही हम इस एकता की और अपना कदम बढ़ा सकेंगें ।
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*आओ सब मिलकर एक हो जाए ।।।*
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।। जय महावीराय नम: ।।
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