इसलिए जो भी अवसर सामने आए, उसका फायदा तुरन्त ही उठा
अवसर
एक युवक था जो एक किसान की बेटी से शादी करना चाहता था और यही इच्छा लेकर वह युवक, किसान के पास गया व किसान से कहा- मैं आपकी बेटी से शादी करना चाहता हूं?
किसान ने उसकी ओर बडे ध्यान से देखा और कहा- तुम मेरी बेटी से एक शर्त पर ही शादी कर सकते हो। मेरे साथ मेरे खेत पर चलो। वहां मैं एक-एक करके तीन मुर्गे छोडूंगा और उसमें से तुमको कम से कम एक मुर्गा पकड़ना होगा। अगर तुमने किसी एक को भी पकड़ लिया, तो मैं अपनी बेटी की शादी तुम्हारे साथ कर दुंगा।
युवक तैयार हो गया और दोनों किसान के खेत पर पहुंचे। युवक मुर्गे को पकड़ने की मुद्रा में खडा हो गया। किसान ने अपने खेत में स्थित घर का दरवाजा खोला, तो एक बहुत ही बड़ी चोंच वाला मुर्गा निकला। युवक को वह मुर्गा थोड़ा डरावना लगा और सोचा की कहीं इसने चोंच मार दी तो चोट लग जाएगी। उसने निर्णय लिया कि वह अगले मुर्गे का इंतज़ार करेगा।
यही सोच कर वह एक तरफ हो गया, जिससे मुर्गा उसके पास से होकर निकल गया। दरवाजा फिर खुला, युवक फिर से तैयार हो गया पर इस बार आश्चर्यजनक रूप से पहले से भी बड़ा और भयंकर मुर्गा निकला। युवक ने सोंचा कि इससे तो पहला वाला मुर्गा ही ठीक था। इस मुर्गे से भी वह डर गया और सोंचा कि आखिरी मुर्गे तो तो वह पकड ही लेगा और यही सोंच कर उसने इस दूसरे मुर्गे को भी निकल जाने दिया।
तीसरी बार जब दरवाजा खुला ताे युवक के चहरे पर मुस्कान आ गई क्योंकि इस बार एक छोटा और मरियल सा मुर्गा निकला था। जैसे ही मुर्गा युवक के पास आने लगा, तो युवक ने उसको पकड़ने के लिए मुद्रा बनाई ताकि उसको सही समय पर पकड़ सके। पर वह ये देख कर आर्श्चयचकित रह गया कि वहा मुर्गा अभी ही किसी को काट कर आया था। युवक यह देख कर ड़र गया और सोचने लगा कि इस से तो ज्यादा अच्छे तो वही मुर्गे थे, जिनको मैने पहले जाने दिया। वह इन सभी बातो को सोच ही रहा था कि वह तीसरा मुर्गा भी निकल गया।
किसान ने युवक की आैर देखा और कहा- तुमने एक भी मुर्गा नही पकड़ा, इस कारण से तुमने अपनी शर्त पूरी नहीं की। इसलिए मैं अपनी पुत्री की शादी तुमसे नही कर सकता।
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इस छोटी सी Story का Moral ये है कि ज़िन्दगी अवसरों से भरी हुई है जहां कुछ अवसर काफी सरल होते हैं तो कुछ बहुत कठिन। लेकिन यदि पहला ही अवसर गवां दिया, तो फिर वह अवसर जीवन में कभी नहीं आता। इसलिए जो भी अवसर सामने आए, उसका फायदा तुरन्त ही उठा लेना चाहिए, चाहे वह अवसर कितना भी कठिन प्रतीत क्यों न हो क्योंकि जरूरी नहीं है कि दूसरा अवसर इस पहले अवसर की तुलना में सरल ही होगा।
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